बड़ी मुद्दत से तलाश रहा हूँ
ख़ुद के लिए एक नई जगह...
इक नई जगह तंग ही सही
पर जहाँ बेतरतीब पड़े रहे जज्बात मेरे
और यादों को कोई न छुए
हर वक्त सुकून का हो जहाँ
बेवक्त की टोका टोकी न रहे
तलाश रहा हूँ एक ऐसी जगह
बड़ी मुद्दत से
खुद के लिए!
Wednesday, November 18, 2009
Tuesday, November 17, 2009
अजनबी आवाज़
इक आवाज....
एक अजनबी आवाज़
हर वक्त मेरे साथ रहती है
दिन हो या के हो रात रहती है
मैं इसे देख सकता हूँ
छू सकता हूँ
महसूस करता हूँ...
सांसों के साथ जिस्म में समा जाती है
फिर लफ्ज़ों के साथ मुंह से निकल आती है,
मैं पूछता हूँ 'कौन हो?'
तो चुप हो जाती ही
और अचानक
खिलखिलाते हुए पास से गुज़र जाती है
मैं हैरां हूँ ,परेशां हूँ
क्यों ये अजनबी अपना तआरुफ़ नहीं कराती है...
ये आवाज़ सदियों से मुझे सताती है
पर आज की शब जब तुमसे मिला तो यूँ लगा ...
तुमसे मिलने से सदियों पहले तुम्हारी आवाज़ से मिल चुका
था
था
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